आईएएस अंसार शेख ऑटोरिक्शा चालक के बेटे की आईएएस बनने की कहानी | Ansar Shaikh kese IAS Bane
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Ansar Sheikh |
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group photo of IAS 2016 batch |
ये पंक्तियां इन पर बिल्कुल सटीक बैठती है---
"मिटा दे अपनी हस्ती को,गर कुछ मर्तबा चाहे,कि दाना खाक में मिलकर, गुले-गुलजार हो जाये " -अलामा इक़बाल
आज ये लेख उस कर्मठ इंसान के लिए है जिसने अपने जीवन में बहुत गरीबी देखी है और 21 साल की उम्र में आईएएस वनने का सफर तय किया है। ऐसे लोगो की कहानी न केवल यूपीएससी की तैयारी करने वालो को प्रेरित करती है वल्कि पूरे देश और समाज को भी प्रेरित करती है। हम लोगो के समक्ष ये ऐसे उदाहरण है जिनसे हर कोई इंसान चाहे वह किसी भी क्षेत्र में हो शिक्षा ले सकता है। मुश्किलें इंसान को विचलित तो कर सकती है लेकिन उसके इरादे नहीं डिगा सकती।
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परिवार,पालन पोषण ओर श्री अंसार शेख
श्री अंसार शेख महाराष्ट्र के जालना जिले के शेलगांव के रहने वाले है।अंसार सेख के पिता का नाम यूनुस सेख अहमद है। अंसार के पिता की 3 शादियाँ हुई थीं और अंसार की माँ दूसरी वाली पत्नी थी।उनके पिता ऑटो रिक्शा चलाते थे ओर माँ खेत मे काम करने जाती थी । इनका परिवार गरीबी रेखा से नीचे आता था । आपको जानकर आश्चर्य होगा कि वह अपने घर में अकेले ग्रेजुएट है। जब वह कक्षा 4 में थे तो उनके पिता को रिस्तेदारो ने सलाह दी कि इसे मत पढ़ाओ कोई काम धंधा कराओ, आजकल सरकारी नोकरियाँ कहाँ मिलती है और मिलती भी है तो हमारी कौम को नही मिलती । इसके बाद उनके पिता ने उनकी पढाई न कराने का निर्णय लिया लेकिन उनके शिक्षक ने उनके पिता से बोला कि आपका बेटा पढ़ने में काफी होशियार है इसको पढ़ने से मत रोको । तुम आज इसे पढ़ाओगे तो एक दिन ये आपके परिवार की किस्मत बदल देगा । उनके पिता ने शिक्षक की ये सलाह मान ली। उनके 2 साल छोटे भाई ने अंसार की पढ़ाई के लिए कक्षा 6 में अपनी पढ़ाई छोड़ दी ताकि अंसार पढ़ सके, ओर भाई ने अपने मामा के गेराज में नोकरी कर ली। अंसार की बहनौ की शादी 15 की उम्र में हो गयी थीं।
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Ansar Shekh |
शिक्षा और श्री अंसार शेख
वह शुरू से ही काफी मेधावी छात्र रहे। उनकी शुरूआती शिक्षा ज़िला परिषद् विद्यालय मैं मराठी माध्यम में हुई। इन्होंने दसवीं कक्षा में 91% अंक प्राप्त किए। जब वह 10 वी कक्षा में थे तो वो एक कंप्यूटर कोर्स करना चाहते थे। उनके पास पैसे नही थे तो उन्होंने एक होटल पर वेटर की नोकरी भी की, जहां पर उन्हें 3000 हज़ार रुपए एक महीने में मिलते थे। जिसके लिए उन्हें सुवह 8 बजे से रात को 11 बजे तक काम करना पड़ता था। वह वहाँ पर टेबल साफ करना, पोछा लगाने का काम करते थे। दिन में 2 घंटे मिलते थे जिसमें वो खाना खाने तथा कंप्टर कोर्स के लिये जाते थे।
12वीं कक्षा में संस्कृत में 100 में से 100 नंबर प्राप्त किए। इन्होंने ग्रेजुएशन फर्ग्युसन कॉलेज पुणे से राजनीति विज्ञान विषय मैं किया। वह बताते हैं कि वहां मुझे मुस्लिम होने के कारण भेदभाव का शिकार होना पड़ा था। इस कारण मुझे पुणे में कई जगह पर किराए पर मकान नहीं मिला अंत में मैंने शिवम नाम से मकान किराए पर लिया,जो मेरे एक दोस्त का नाम था। ग्रेजुएशन के समय में उन्होंने यूनिक एकेडमी मैं यूपीएससी की तैयारी करने के लिए एडमिशन का मन बनाया। वहाँ गए तो पता लगा कि फीस 70,000 रूपए है। उनकी घर की हालत बहुत खराब होने के कारण वह इतने रुपए खर्च नहीं कर सकते थे। उन्होंने जैसे ही वहाँ पर अपनी घर की हालत के बारे में वताया तो उन्हें एडमिशन में 50% माफ् कर दिया गया।
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upsc book |
वह प्रतिदिन 13 घंटे पढ़ते थे क्योंकि वह जानते थे कि उनको दूसरा मौका नही मिलने वाला। इनका चयन यूपीएससी की बर्ष 2015 की परीक्षा में आईएएस में हो गया। इन्होंने आईएएस के इंटरव्यू में 275 में से 199 अंक प्राप्त किए थे। उनको पश्चिम बंगाल कैडर आवंटित हुआ है।
वह बताते हैं कि उन्हे आईएएस बनने की प्रेरणा उनके एक टीचर से मिली जब है 10 वी कक्षा में पढ़ते थे तो एक टीचर का चयन महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन मैं हुआ था। उन्होंने उसके बाद अपने स्वप्न को पूरा करने मैं सब कुछ न्योछावर कर दिया। यूपीएससी की तैयारी कराने के लिए इनके पिता ने अपना घर तक बेच दिया। वह बताते हैं कि उनकी कामयाबी के पीछे उनके माता-पिता तथा उनके छोटे भाई का बहुत बड़ा हाथ है, अगर वह मुझे प्रेरित नहीं करते मैं शायद आईएएस नहीं बन पाता।
"वह बताते हैं कि जब उनके शिक्षक का चयन महाराष्ट्र राज्य लोक सेवा आयोग में हुआ था,तब वह दसवीं कक्षा में थे और आईएएस बनने के लिए इस बात ने मुझे बहुत प्रेरित किया। बाद में मैं उनसे मिला भी उन्होंने मुझे महाराष्ट्र राज्य लोकसेवा के परीक्षा बारे में बताया। उन्हें एक बात ने और आईएएस बनने को प्रेरित किया था। गरीबी रेखा से नीचे वालो के लिए एक योजना सरकार की आयी थी। उसके लिए उनके पिता से जल्दी उस योजना को लाभ लेने के लिए सरकारी दफ्तर में गए तो एक सरकारी कर्मचारी ने अच्छी खासी रिश्वत की मांग की थी। इस बात ने मुझे अधिकारी बनने को प्रेरित किया था मैंने उस दिन तय किया कि मुझे अधिकारी बनना है। वह बताते हैं सपने देखने के कौन से पैसे लगते हैं उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं था।"
-श्री अंसार सेख
अंसार ने गरीबी रेखा के नीचे के परिवार से आईएएस बनने तक का सफर तय किया है निसंदेह उनकी मेहनत सराहनीय है तथा भारत जैसे देश में बहुत गरीबी है, निसंदेह उनका यह सफर बहुतों को प्रेरित करेगा । निकट भविष्य में ना जाने कितने लोग उनकी इस कहानी से प्रेरित होकर अपना सपना पूरा करेंगे। वह बताते हैं कि आईएएस बनने के बाद उनकी वरीयता भेदभाव समाप्त करने की रहेगी। जिसका उन्होंने खुद सामना किया है।
आईएएस के इंटरव्यू में पूछा गया एक रोचक प्रश्न----
"आईएएस के इंटरव्यू में एक बोर्ड के एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ने मुझसे एक सवाल पूछा कि आप मुस्लिम में क्या हो सिया हो या सुन्नी हो मेने वोला ' सर् में एक भारतीय मुस्लिम हूँ। मेरा उत्तर सुनकर वो वहुत खुस हुए।“
-श्री अंसार सेख
अपने लक्ष्य पर लगे रहो क्योकि मेहनत करने वालो की कभी हार नहीं होती है। हम इनके जीवन से इतना कुछ सीख सकते हे इतना शायद किसी से नहीं । जब हम तैयारी करते हे तो वहुत सी बातें हमे हतोत्साहित करती हे, लेकिन अगर हम ऐसे लोगो की दिनचर्या और जीवन को आत्मसात करे तो जीवन में कुछ भी पा सकते है ।
आशा करता हु आपको ये लेख पसंद आया होगा ।
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I'm certainly not an expert, but I' ll try my hardest to explain what I do know and research what I don't know.
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