IPS Vijay Gurjar Success Story-Constable to IPS | आईपीएस श्री विजय गुर्जर की कांस्टेबल से आईपीएस बनने की प्रेरित कहानी
Sh. Vijay Gurjar |
यह पंक्तियाँ आईपीएस श्री विजय गुर्जर लिए विल्कुल सटीक बैठती है-
"कोन कहता है आसमां में,
सुराग नहीं हो सकता,
एक पथ्थर तो तवियत से,
उछालो यारो।"
यह कहानी है उस इंसान की, जिसने पुलिस कांस्टेबल से आईपीएस तक का सफर तय किया है। उनका नाम है आईपीएस श्री विजय गुर्जर। श्री विजय गुर्जर राजस्थान के एक जिले झुंझनु के रहने वाले है। उनके पिता का नाम लक्ष्मण सिंह है। उनके पिता किसान है ओर गांव में रहते है। उनकी परवरिस गांव में एक सामान्य परिवार में हुई थी,लेकिन मन में कुछ कर गुजरने का सपना बचपन से ही था । उन्होंने ये दिखा दिया कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता है। अगर आदमी अपनी जिद पर आ जाए तो सब कुछ पा सकता है। उन्होंने 5 बार आईपीएस की परीक्षा दी और 5 वी बार वो आईपीएस के लिए चुने गये। अपनी ड्यूटी करने के साथ-साथ वो दिन में 10 घंटे पढ़ते थे । ओर उनकी ये पढ़ाई न केवल उनके काम आ गयी वल्कि बहुत लोगो को प्रेरित कर गयी। वो कहते है कि रास्ते में कितने भी काँटे हो लेकिन अगर तय कर लिया जाए तो मंजिल तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
Youtube video on this article
Youtube video on this article
ips Vijay gurjar |
उनकी शिक्षा दीक्षा बिल्कुल सामान्य हुई थी। इनके 10 वी में 55% तथा 12 वी में 67 % अंक आये थे। घर की हालत सही नही होने के कारण इनके पिता ने नोकरी तलाशने को बोला । उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना सुरु कर दिया। जून 2010 में उनका चयन दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पद पर हो गया ।वह सतत तैयारी में लगे रहे । दिसंबर 2010 में उनका चयन दिल्ली सब इंस्पेक्टर में हो गया । दिल्ली दरोगा की नौकरी मे उन्हें तैयारी का बहुत ही कम समय मिलता था किन्तु दिसंबर 2012 में उनका चयन सेंट्रल एक्साइज़ इंस्पेक्टर के पद पर हो गया। इस दौरान इनकी तैनाती त्रिवेंद्रम केरल में रही। जहां उन्होंने जनवरी 2013 से जनवरी 2014 तक कार्य किया। फिर से उन्होंने एसएससी की परीक्षा दी तो अब उनका चयन इनकम टैक्स इंस्पेक्टर के पद पर हो गया। जहां उन्होंने जनवरी 2014 तक दिल्ली में कार्य किया।
डिपाटमेंट / पद
|
नियुक्ति
|
दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल
|
जून 2010
|
दिल्ली पुलिस में दरोगा
|
दिसंबर 2010
|
सेंट्रल एक्साइज़ इंस्पेक्टर
|
जनवरी 2013 से जनवरी 2014
|
इनकम टैक्स इंस्पेक्टर
|
जनवरी 2014
|
आईपीएस चयन
|
जुलाई 2018
|
आईपीएस बनने का सपना संजोए विजय सिविल सर्विस की तैयारी में लगे रहे । बर्ष 2016 में वह इंटरव्यू तक पहुंचे किन्तु मात्रा 8 अंको से रह गए ।यह उनका तीसरा प्रयास था । वह हार नही माने । बर्ष 2018 में पांचवे प्रयास में उनका चयन आईपीएस के लिए हो गया ।इनका चयन संस्कृत साहित्य से हुआ हे । ये वताते हे कि उन्होंने संस्कृत में शास्त्री किया हुआ है।
आखिरकार विजय जी ने वह पा लिया जिसके वह हकदार थे । उन्होंने यह सावित कर दिया कि मेहनत करने वालो की कभी हार नही होती है ।मेहनत करने वाला एक न एक दिन अवस्य ही सफल है । उनको नोएडा में गुर्जर समाज ने सम्मानित किया । करते भी क्यों नही उन्होंने काम ही ऐसा कर दिखाया ।उन्होने न केवल गुर्जर समाज वल्कि पूरे देश के उन लोगो को प्रेरित किया जो बहुत ही सामान्य परिवार से ताल्लुख रखते है। आने वाले समय मे इनकी कहानी से प्रेरित होकर न जाने कितने विजय पैदा होंगे ।
प्रेरित पंक्तियाँ किसी ने सही कहा है-
मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती है , स्वप्न के पर्दे निगाहों से हटाती है,हौशला मत हार गिरकर ओ मुसाफिर,मुश्किलें इंसान को चलना सिखाती है।
Youtube video of this article...
चयन के बाद श्री विजय ने ये पंक्तियाँ कही-
“आभाव व कम संसाधन कभी विजय रथ को नहीं रोक सकते। यह जरूर है कि आभाव के कारण सफलता पाने में समय लग जाता है। मेरी माँ चंदा देवी और पत्नी सुनीता लगातार मनोवल बढाती रहीं। अब मैं अपनी पत्नी सुनीता को सिविल सेवा कि तैयारी करा रहा हूँ । मैं सिपाही भी रहा हूँ । इस लिए मुझे उसका दर्द पता है।“ "विजय गुर्जर,आईपीएस"
Read also...
0 Comments
I'm certainly not an expert, but I' ll try my hardest to explain what I do know and research what I don't know.
Please do not spam comment.