Police ko Application Kaise Likhe | How to write application for FIR (First Information Report)


Police ko Application Kaise Likhe | FIR के लिए प्रार्थना पत्र में क्या क्या लिखा जाता है

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Police ko Application Kaise Likhe | How to write application for FIR (First Information Report)
मस्कार दोस्तों, इस लेख में मैं आपको बताऊंगा की एफ आई आर में क्या-क्या विवरण होना चाहिए। पुलिस थाना पर एफ. आई. आर. (FIR) के लिए प्रार्थना पत्र को कैसे लिखना चाहिए। प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) के लिए प्रार्थना पत्र लिखते हुए किन-किन बातों का प्रार्थना पत्र में शामिल होना आवश्यक है ताकि आपकी प्रथम सूचना रिपोर्ट बहुत ही अच्छी लिखी जाए और आपका मुकदमा बहुत ही अच्छी धाराओं में पंजीकृत हो। प्रथम सूचना रिपोर्ट के लिए जिस शिकायती प्रार्थना पत्र पर अभियोग पंजीकृत किया जाएगा उसमें बहुत सारी बातों का शामिल होना आवश्यक है। प्रथम सूचना रिपोर्ट में निम्न बातें शामिल नहीं है तो आप के मुकदमे पर अच्छी धाराओं में अभियोग पंजीकृत नहीं होगा तथा वह विवेचना तथा मुकदमा कोर्ट में जब ट्रायल पर आएगा तो मुकदमा कमजोर रहेगा ओर दोषी को सज़ा भी न मिलेगी।

पुलिस को शिकायती प्रार्थना देते समय कुछ प्रश्नवाचक शब्दों को जरूर ध्यान करना चाहिए जैसे कब, कहां, कैसे, किसलिए, किसने, किसको इत्यादि का शामिल होना आवश्यक है। कब का तात्पर्य है घटना की दिनाँक तथा समय। कहां का मतलब है घटनास्थल जहां पर घटना घटित हुई है। कैसे का मतलब है घटना का विवरण। किसने का मतलब है अभियुक्तों के नाम पता। किस लिए का मतलब है घटना का कारण। किसको का मतलब है पीड़ित या शिकायतकर्ता का नाम पता इत्यादि।

अन्य कुछ बातें जिनका शिकायत में शामिल होना जरूरी है निम्नलिखित हैं

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    पुलिस थाना का नाम (Police Station Name):

    पुलिस थाना का नाम जहां आप शिकायत कर रहे हो उसको सेवा में संबोधन के बाद लिखना चाहिए। आप किस थाने में शिकायत कर रहे हो यह स्पष्ट होना चाहिए। जब आप अपना शिकायत दोगे तो संबंधित थाना उसको अपने क्षेत्राधिकार में मानेगा तथा कार्रवाई करेगा। शिकायत में यह स्पष्ट होना चाहिए कि घटना कहाँ हुई है तथा उसी थाना के क्षेत्र के अंतर्गत शिकायत करनी चाहिए।

    शिकायतकर्ता का नाम व पता (Name and Address of Complainant):

    प्रार्थना पत्र में शिकायतकर्ता का नाम शामिल होना आवश्यक है। शिकायतकर्ता पीड़ित व्यक्ति भी हो सकता है तथा उसके रिश्तेदार भी हो सकते हैं या उसके दोस्त भी हो सकते हैं । 3 तरह के व्यक्ति शिकायतकर्ता हो सकते हैं-
    • एक व्यक्ति जो अपराध के बारे में जानता है,
    • एक व्यक्ति जिसके साथ अपराध हुआ है, 
    • तीसरा जिसने अपराध होते हुए देखा है। 
    प्रार्थना पत्र में जिस शिकायत पर एफ आई आर लिखी जानी है उसमें शिकायतकर्ता का स्पष्ट नाम और पता होना चाहिए ताकि पुलिस जब उस पर कार्रवाई करें तो पुलिस और कोर्ट शिकायतकर्ता से आसानी से संपर्क कर सकें।

    घटना का दिनांक व समय (Crime Occurrence Date and Time):

    शिकायत में पीड़ित के साथ जिस दिन घटना घटित हुई है उसे लिखना चाहिए तथा समय को भी शिकायत में शामिल करना चाहिए।

    सूचना का दिनांक तथा समय (Information Given Date and Time):

    शिकायत में जिस दिन आप सूचना दे रहे हो उस दिनांक तथा समय को भी शामिल करना चाहिए।

    घटनास्थल (Crime Scene):

    घटनास्थल से तात्पर्य है की पीड़ित के साथ जिस स्थान पर घटना घटित होती है या पीड़ित को जहां सताया जाता है, अपराध किया जाता है। उस स्थान का स्पष्ट उल्लेख शिकायत में होना चाहिए। यह बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। विवेचना के दौरान विवेचक जब विवेचना करता है तो घटना स्थल का निरीक्षण करता है, घटना स्थल का नक्शा भी बनाता है तथा अपनी केस डायरी में घटना स्थल के निरीक्षण को शामिल करता है। घटनास्थल अभीयुक्त को दोषी ठहराने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    घटना का विवरण (Crime Details against Victim):

    पीड़ित व्यक्ति के साथ घटना का विस्तार से विवरण लिखना चाहिए तथा विवरण में फालतू बातों को शामिल नहीं करना चाहिए विवरण को बहुत सटीक लिखना चाहिए, क्योंकि जितनी फालतू बातें आप शिकायत में शामिल लिखोगे जब ट्रायल पर मुकदमा आएगा तो प्रतिपक्षी का वकील उसमें उतने ही दोष कमियां निकालेगा तथा प्रश्न पूछेगा इससे केस कमजोर हो जाएगा ।

    अभियुक्त का नाम व पता (Accused Name & Address):

    घटना घटित करने में शामिल व्यक्तियों का नाम पता और विवरण स्पष्ट होने चाहिए नहीं तो पुलिस को जांच में तथा कोर्ट को सम्मन जारी करने में बहुत ही परेशानी होती है तथा इससे अभियुक्त लाभ पा जाता है। अभियुक्त को ट्रेस कटने में काफी मसक्कत करनी पड़ती है।

    चश्मदीद गवाह (Eyewitness):

    जिस व्यक्ति के सामने घटना घटित हुई है उसका नाम शिकायती प्रार्थना पत्र में शामिल करना चाहिए इससे विवेचना के दौरान विवेचक द्वारा आरोप पत्र दाखिल करने में आसानी होती है तथा कोर्ट में अभियुक्त को दोषी ठहराने में भी इसका बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है।

    मेडिकल और वैज्ञानिक तथ्य (Scientific & Technical Facts):

    यदि किसी पीड़ित के साथ अपराध हुआ है तो यदि उसका मेडिकल या कोई दस्तावेज या ऑडियो वीडियो रिकॉर्डिंग इत्यादि शिकायतकर्ता के पास है तो उसे प्रार्थना पत्र के साथ संलग्न करना चाहिए आप इन दस्तावेजों को विवेचना के दौरान विवेचक को भी दे सकते हो। शिकायती प्रार्थना पत्र जिस पर f.i.r. पंजीकृत की गई है उसके साथ इन दस्तावेजों को संलग्न किया जाता है तो मुकदमे का खुलासे के समय रोजनामचा आम में इनको लिखा जाता है जो बहुत ही महत्व पूर्ण लिखित दस्तावेज होता है।

    आप प्रार्थना पत्र में जिस शिकायत पर एफ आई आर (FIR) दर्ज होनी है और भी उन बातों को शामिल कर सकते हैं जिससे अभियुक्त को दोषी ठहराने में सहायता मिले।

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