Who can file an FIR | Who can register FIR | FIR कौन दर्ज करा सकता है
Who can file an FIR | Who can register FIR |
नमस्कार दोस्तों, मैं आपको
इस लेख में बताने जा रहा हूं FIR
कौन दर्ज करा सकता (Who can file an FIR | Who can register FIR) है, एफ आई आर या प्रथम सूचना रिपोर्ट दंड
प्रक्रिया संहिता की धारा 154 के
अंतर्गत दर्ज की जाती है । इसके तहत पुलिस को अधिकार होता है कि वह बिना वारंट के
अभियुक्त को गिरफ्तार कर सकती है तथा स्वतः संज्ञान भी ले सकती है । ऐसे अपराधों में मजिस्ट्रेट से जांच के लिए
पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है। अब प्रश्न यह उठता है कि एफ0 आई0 आर0 (FIR) कौन
दर्ज करा सकता है। यह आवश्यक नहीं है कि केवल पीड़ित व्यक्ति ही प्राथमिकी दर्ज
कराएं । उसके रिश्तेदार भी FIR दर्ज करा सकते हैं तथा दोस्त भी एफ आई
आर दर्ज करा सकता है। पुलिस अधिकारी के
सामने यदि कोई अपराध होता है तो स्वयं पुलिस अधिकारी fir दर्ज करा सकता है।
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भारत में प्रत्येक नागरिक को अपने खिलाफ हुई
बारदात के संबंध में पुलिस थाना पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने का अधिकार है,
किंतु आपने कई बार देखा होगा जब पीड़ित व्यक्ति पुलिस थाने पर जाता
है तो पुलिस उसकी FIR नहीं
लिखती है या FIR लिखने में आनाकानी करती है, जिसके
कारण उस व्यक्ति को FIR दर्ज कराने के लिए पुलिस के उच्च अधिकारियों के
समक्ष पेश होना पड़ता है तथा यदि फिर भी FIR पंजीकृत
नहीं होती तो पीड़ित को माननीय न्यायालय का सहारा भी लेना पड़ता है । दंड
प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के
अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत माननीय न्यायालय द्वारा कराया जाता है।
सामान्य तौर पर अपराध घटित होता है तो पीड़ित
व्यक्ति ही स्वयं अपनी शिकायत पर एफ आई आर (FIR) दर्ज
करवाता है। कई बार प्रथम सूचना रिपोर्ट
पीड़ित के रिश्तेदार जैसे मां-पिता,
भाई-बहन, चाचा-चाची तथा दोस्त इत्यादि भी मुकदमा
पंजीकृत कराते हैं।
तीन तरह के व्यक्ति अभियोग पंजीकृत करा सकते
हैं-
1-वह व्यक्ति जो अपराध के बारे में जानता है
वह व्यक्ति मुकदमा दर्ज करवा सकता है जो अपराध
के बारे में जानता है। कहने का तात्पर्य है जिन लोगों के साथ अपराध घटित नहीं होता
है वह लोग भी अपराध के बारे में जानते हैं
जैसे माता-पिता भाई-बहन या दोस्त शामिल किए जाते हैं
2-
एक व्यक्ति जिसके खिलाफ अपराध किया गया है
वह
अभियोग दर्ज करवा सकता है पीड़ित व्यक्ति द्वारा अभियोग जब पंजीकृत कराए जाते हैं
तो कैटेगरी में आता है। यह सबसे अच्छा माना जाता है कि जिसके खिलाफ अपराध हुआ है
वह मुकदमा लिखाये।
3-
एक व्यक्ति जिसने अपराध होते हुए देखा है
वह व्यक्ति भी अपराध दर्ज करवा सकता है जिसने
अपराध होते हुए देखा है ऐसे व्यक्ति चश्मदीद गवाह माने जाते हैं । कई बार पुलिस के
सामने भी अपराध घटित होता है तो वह स्वयं भी दर्ज करवा सकते हैं
आशा करता हूं दोस्तों आपको यह लेख पसंद आया
होगा|
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