Police FIR Darj na Kare to Kya Kare | पुलिस FIR दर्ज न करे तो क्या करें
नमस्कार दोस्तों, इस लेख में आपको बताऊंगा की यदि पुलिस FIR (first information report ) दर्ज़ न करे तो आम नागरिक को क्या करना चाहिए कि FIR (first information report ) दर्ज़ हो जाये। पुलिस संगेय अपराध (cognizable offences) होने पर दंड प्रक्रिया संहिता कि धारा 154 के अंतर्गत प्रथम सुचना रिपोर्ट ( प्राथमिकी (FIR) दर्ज़ करती है । पुलिस सभी घटनाओ में प्रथम सुचना रिपोर्ट दर्ज़ नहीं करना चाहती और आम नागरिक को इस कारण काफी मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है । ऐसे में जिसके साथ घटना घटित होती है यानि कि जिसका उत्पीड़न होता है उसी व्यक्ति को पुलिस कि प्राथमिकी दर्ज़ न करने के कारण उत्पीड़न होता है । इससे पुलिस डिपार्टमेंट की भी काफी बदनामी होती है। पीड़ित को न्याय भी नहीं मिल पता है। पीड़ित व्यक्ति चाहे वो आदमी हो या औरत प्राथमिकी दर्ज़ कराने को इधर उधर भटकते रहते है। इस लेख के माध्यम से मैं इसी के बारे में बताऊंगा कि प्राथमिकी को कैसे पुलिस थाना पर दर्ज़ कराया जाये। read also... Zero FIR (शून्य प्राथमिकी) किसे कहते है | पुलिस #ZeroFIR (#0FIR) पर कैसे कारवाही करती है
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Police FIR Darj na Kare to Kya Kare | पुलिस FIR दर्ज न करे तो क्या करें |
सबसे पहले आप अपने साथ हुई घटना को किसी सादा कागज़ पर लिखे हस्तलिखित या टाइप शुदा । आप मौखिक प्राथमिकी (FIR) भी दर्ज़ करा सकते हो । उसके बाद सर्वप्रथम आप पुलिस थाना पर जिस थाना क्षेत्र में अपराध घटित हुआ है, जाओ और प्राथमिकी (FIR) दर्ज़ करने हेतु प्रार्थना पत्र देकर या मौखिक घटना को बताकर प्राथमिकी (FIR) दर्ज़ कराने को बोले और यदि पुलिस थाना का प्रभारी आपकी प्रथम सुचना रिपोर्ट दर्ज़ करने से मना करें तो निम्नलिखित तरीको से आप अपनी प्राथमिकी दर्ज़ करा सकते हो ।
पुलिस के उच्च अधिकारिओं से शिकायत कर
पुलिस अधिकारी जैसे सर्किल अफसर, पुलिस अधीक्षक आदि से शिकायत कर प्राथमिकी (FIR) दर्ज़ करा सकते हैं । उच्च अधिकारिओं को बताओ की आप पुलिस थाना पर गए थे लेकिन पुलिस थाना के प्रभारी द्वारा प्राथमिकी दर्ज़ नहीं की गयी, यदि फिर भी आपकी प्रथम सुचना रिपोर्ट दर्ज़ न हो तो आप माननीय कोर्ट से निम्न तरीके से प्राथमिकी दर्ज़ करा सकते हो ।
उच्च न्यायलय से 482 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत आवेदन कर
प्राथमिकी दर्ज़ न होने पर दंड प्रक्रिया संहिता कि धारा 482 के अंतर्गत माननीय उच्च न्यायालय में आवेदन कर प्राथमिकी दर्ज़ करा सकते हो ।
जिले की सम्बंधित कोर्ट में दंड प्रक्रिया संहिता धारा 156 (3) के अंतर्गत
पुलिस FIR दर्ज़ न करे तो आप घटना घटित थाना के सम्बंधित कोर्ट में दंड प्रक्रिया संहिता धारा 156 (3) के अंतर्गत दर्ज़ करा सकते हो । इसमें घटना स्थल जिसमे घटना घटित हुई हो उसी थाना पर प्राथमिकी (FIR) दर्ज़ होती है जिस थाना पर पुलिस प्राथमिकी (FIR) दर्ज़ करने से मना कर देती है और वही पुलिस कारवाही भी करती है
मानवाधिकार आयोग में शिकायत कर
आप राज्य मानवाधिकार आयोग या राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग में प्राथमिकी (FIR) दर्ज़ न करने के सम्बन्ध में शिकायत कर प्रथम सुचना रिपोर्ट दर्ज़ करा सकते हो ।
आप अपने राज्यों में अपने मुख्यमंत्री से शिकायत भी कर सकते है क्योकि अब लगभग सभी राज्य शिकायत सेल गठित किये हुए हे जैसे उत्तर प्रदेश में आप थाना दिवस, तहसील दिवस आदि में शिकायत करे तो तुरंत प्राथमिकी (FIR) दर्ज़ होती है क्योकि ये योजनाएं सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है ।
आशा करता हूँ आपको इस लेख से पुलिस प्राथमिकी (FIR) दर्ज़ न करे तो कैसे प्राथमिकी दर्ज़ कराएं पता चला होगा ।
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2 Comments
Helpfull article
ReplyDeleteThanks...
DeleteI'm certainly not an expert, but I' ll try my hardest to explain what I do know and research what I don't know.
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