उत्तर प्रदेश में पुलिस जनपद लखनऊ (नगर) एवं गौतमबुद्ध नगर में पुलिस आयुक्त प्रणाली का क्रियान्वयन
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश में पुलिस जनपद लखनऊ (नगर) एवं गौतमबुद्ध नगर में पुलिस आयुक्त प्रणाली का क्रियान्वयन करने का निर्णय लिया है। पुलिस आयुक्त प्रणाली की व्यवस्था भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 व दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 में दी गई है जो मूल रूप से 10 लाख से अधिक जनसँख्या के नगरों के लिए है। इसी अधिकार के अंतर्गत दोनों जनपद पुलिस में कमिश्नर प्रणाली को क्रियान्वित किया जा रहा है। इसका फायदा यह होगा कि पुलिस को मेजिस्ट्रेट कि शक्तियां मिल जाएँगी जैसे यदि कहीं दंगा हो रहा है वहां पर दंगा नियंत्रण का आदेश पुलिस के अधिकारी दे पाएंगे, धारा 144 भी पुलिस के अधिकारी लगा पाएंगे। कमिश्नरी प्रणाली में पुलिस को मेजिस्ट्रेट के काफी अधिकार मिल जाते है।
Police Commissioner System in UP: लखनऊ और नोएडा में पुलिस आयुक्त प्रणाली का क्रियान्वयन |
उत्तर प्रदेश सरकार ने कमीश्नरी प्रणाली लगाने के निम्नलिखित तर्क दिए है-
- अपराधियों की कार्यविधि निरंतर जटिल और आधुनिक होती जा रही है। संगठित अपराधों में अब ड्रग्स, मानव तस्करी के अतिरिक्त साइबर अपराध, नकली कॉल सेंटर चला कर देश-विदेश में ठगी करना, लाटरी स्कैम चलाना, आदि सम्मिलित हो गए हैं। संगठित साइबर अपराध के रूप में आन-लाइन ठगी भी हो रही हैं, ऐसी स्थिति में हमारी वर्तमान तकनीक अपर्याप्त सिद्ध हो रही है।
- कानून व्यवस्था की चुनौतियां इस प्रकार हो गयी है कि भीड़ नियंत्रण व सरकारी तथा निजी सम्पत्ति की तोड़फोड़ को प्रभावी तरीके से रोकने के लिये प्रचलित व्यवस्था कमजोर पड़ रही है। इन नगरों में यातायात प्रबंधन भी बहुत बड़ी चुनौती है जिसके लिए अनुसंधान और नियोजन कर स्थाई हल निकाले जाने की आवश्यकता है।
- लखनऊ नगर एवं गौतमबुद्ध नगर में पुलिस आयुक्त, संयुक्त पुलिस आयुक्त, अपर पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्त, अपर पुलिस उपायुक्त और सहायक पुलिस आयुक्त को कार्यपालक मजिस्ट्रेट के अधिकार प्रदत्त किए जाने के संबंध मे अधिसूचना जारी किया जाना आवश्यक है।
- दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 20 व 21 मे इस संदर्भ में प्रविधान किए गए हैं। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-२० की उपधारा-5 एवं उपधारा 2 के अनुसार महानगरों के पुलिस आयुक्त को कार्यपालक मजिस्ट्रेट तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन महानगरों के संबंध मे क्षेत्र के कार्यपालक मजिस्ट्रेट एवं अपर जिला मजिस्ट्रेट की शक्तियों या उनमे से कोई शक्ति पुलिस आयुक्त को प्रदत्त किया जाना प्रस्तावित है। संगत अधिसूचना विधीक्षित हो चुकी है.
- उपरोक्त व्यवस्था प्रदेश में प्रथम बार लागू की जा रही है। अत: नवीन व्यवस्था में शामिल शहरो का शान्ति व कानून व्यवथा, अपराध नियंत्रण, महिला अपराध नियंत्रण व यातायात प्रबन्धन आदि पर प्रत्येक 6 माह में समीक्षा की जायेगी एवं नयी व्यवस्था का मुल्याकन किया जायेगा।
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