Supreme Court Scraped Section 497 IPC-Latest 2018 | शादी के बाद संबंध बनाना अपराध नहीं- सुप्रीम कोर्ट




Supreme Court Scraped Section 497 IPC-Latest 2018 | शादी के बाद संबंध बनाना अपराध नहीं- सुप्रीम कोर्ट 

शादी के बाद संबंध बनाना अपराध नहीं- सुप्रीम कोर्ट | Supreme Court Scraped Section 497 Indian Penal Code (Hindi) 2018
शादी के बाद संबंध बनाना अपराध नहीं- सुप्रीम कोर्ट | Supreme Court Scraped Section 497 Indian Penal Code (Hindi) 2018

सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 497 को निरस्त किया। सुप्रीम कोर्ट ने बोला की पत्नी का मालिक नहीं पति।. शादी के बाद अब संबंध बनाना अपराध नहीं । सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसले में व्यभिचार संबंधी प्रावधान असंवैधानिक करार दिया. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली पांच सदस्य बाली पीठ ने परस्त्री गमन (Adultery)  से संबंधित आईपीसी की धारा 497 को निरस्त कर दिया । मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और खानविलकर तथा अन्य न्यायाधीशों ने फैसला सुनाते हुए कहा की विवाह के खिलाफ अपराध के मामले में दंड का प्रावधान करने वाली section 497 IPC और सीआरपीसी की धारा 198 को असंवैधानिक घोषित करते हैं । अब समय आ गया है कि पति पत्नी का मालिक नहीं होता है । महिलाओं के साथ के साथ असमान व्यवहार करने वाला कोई भी प्रावधान संवैधानिक नहीं हो सकता है । मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा की पति पत्नी के रिश्ते की सुंदरता होती है कि मैं तुम और हम. समानता के अधिकार के तहत पत्नी को पति के बराबर का अधिकार प्राप्त है । कोर्ट ने कहा की मौलिक अधिकारों के पैरामीटर में महिलाओं के अधिकार शामिल होने चाहिए । समाज में महिला की व्यक्तिगत गरिमा महत्वपूर्ण होती है । समाज महिला के भेदभाव का व्यवहार नहीं कर सकता है । मुख्य न्यायाधीश ने कहा की शादी के बाद संबंध बनाना अपराध की श्रेणी में नहीं खा जा सकता है । महिलाओं पर यह दबाव नहीं बनाया जा सकता है कि समाज उनके बारे में क्या सोच रहा है ।


सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 157 साल पुराने एडल्ट्री कानून को असंवैधानिक करार दिया है । शादी के बाहर सम्वन्ध बनाने को अपराध बनाने वाली धारा 497 के खिलाफ लगी याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि एडल्ट्री को शादी से अलग होने का आधार बनाया जा सकता है; लेकिन इसे अपराध नहीं माना जा सकता । चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यी संविधान पीठ में जस्टिस ए एम खानविलकर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ जस्टिस रोहिंटन नरीमन और जस्टिस मल्होत्रा शामिल थे । इस फैसले में सभी जज एकमत हुए हैं

धारा 497 केवल उस पुरुष को अपराधी मानती है जिसके किसी और पत्नी के साथ संबंध है । पत्नी को इसमें अपराधी नहीं माना जाता । जबकि आदमी को इस अपराध के लिए भारतीय दंड संहिता में 5 साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है ।
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भारतीय दंड संहिता में धारा 497 (व्यभिचार)-

जो भी किसी शादीशुदा औरत के साथ यौन संभोग (sexual intercourse) करता है और जिसे वह जानता है या उस व्यक्ति की सहमति या सहमति के बिना किसी अन्य व्यक्ति की पत्नी होने का विश्वास करने का कारण है, ऐसे यौन संभोग बलात्कार के अपराध की श्रेणी में नहीं है , व्यभिचार के अपराध का दोषी है, और उसे किसी भी अवधि के कारावास के साथ दंडित किया जाएगा जो पांच साल तक, या जुर्माना या दोनों के साथ हो सकता है। ऐसे मामले में पत्नी को प्रेरक के रूप में दंडनीय नहीं किया जाएगा।

निष्कर्ष:


भारतीय दंड संहिता में धारा 497 पहले से ही gender partial (लिंगीय पक्षपातपूर्ण) थी। धारा 497  के अंतर्गत केबल पुरुष को extra marital affair (adultery) रखने पर अपराधी मानती थी । औरत को इसमें दुष्प्रेरण के लिए दोषी नहीं माना जाता था । सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में भी इस धारा को लिंगीय पक्षपातपूर्ण माना था किन्तु जब धारा 497 को निरस्त नहीं किया गया था । अब आकर इस धारा को निरस्त किया गया है। निसंदेह इस धारा को निरस्त करना सुप्रीम कोर्ट द्वारा काफी अच्छा निर्णय है । अब धारा 497 ipc के अंतर्गत शादी से इतर संवंधो (extra  marital  affairs ) adultery को अपराध नहीं माना जायेगा । पहले इस धारा में पति कि सहमति से किसी गैर मर्द के साथ किये गए संवंधो को ही अपराध नहीं माना जाता था। पति कि सहमति के बिना सम्बन्धों को अपराध माना जाता था । किन्तु इस निर्णय में सुप्रीम कोर्ट द्वारा ये निर्णय दिया गया कि औरत कोई बस्तु नहीं, पति औरत का मलिक नहीं है बल्कि दोनों को वैवाहिक रिश्ते में सामान अधिकार प्राप्त है । पत्नी द्वारा किसी गैर मर्द के साथ बनाये गए संबंधों को अपराध कि श्रेणी से बहार किया गया है किन्तु पतिपत्नी द्वारा extra marital  affair  रखने के आधार पर तलाक़ (Divorce) ले सकता है ।


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