RTI Amendment Act 2019 in Hindi | What has Changed in RTI Act 2019 ?


RTI Amendment Act 2019 in Hindi | What has Changed in RTI Act 2019?

RTI Amendment Act 2019: सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2019 जो सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 में संशोधन करता है, लोकसभा में पेश कर शंशोधित किया गया। लोकसभा ने सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2019 को पारित कर दिया। लेकिन विपक्ष के कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी इस संशोधन के पक्ष में नहीं है और इसे "खतरनाक" बताया । डीएमके नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री A Raja ने RTI Amendment Bill 2019 को "लोकतंत्र के लिए काला दिन" करार दिया।

RTI Amendment Act 2019 केंद्र और राज्यों में सूचना आयुक्तों & मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) की नियुक्ति के नियमों और शर्तों में शंशोधन करता है। Right to Information संशोधन बिल में तीन प्रावधान (Three Main Provisions) हैं जिन्हें संसद में विपक्षी सदस्यों द्वारा और सूचना का अधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा चुनौती दी गई है।

इस लेख में आगे बताता हूँ कि 2005 का आरटीआई अधिनियम किन बुनियादी चीजों पर टिका है
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RTI Amendment Act 2019 in Hindi | What has Changed in RTI Act 2019 ?


    केंद्रीय सूचना आयोग का संगठनकार्य और संरचना

    केंद्रीय सूचना आयोग का संगठन एक मुख्य सूचना आयुक्त और 10 सूचना आयुक्त {Central Information Commission includes 1 Chief Information Commissioner (CIC) and not more than 10 Information Commissioners (IC)} से बनता है। मुख्य सूचना आयुक्त और 10 सूचना आयुक्त राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं उन्हें पांच साल के निश्चित कार्यकाल (Fixed Tenure Of 05 years) के लिए नियुक्त किया जाता है।  मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों को वेतन एवं भत्ते संसद निर्धारित करती है। यह केंद्रीय सूचना आयोग को स्वायत्तता और सरकारी हस्तक्षेप (Autonomy) से सुरक्षा देने के लिए किया गया था।

    मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त की शक्तियां और कर्तव्य (CIC, ICs Duties & Powers)
    यदि सार्वजनिक प्राधिकरणों (Public Authorities) द्वारा ऐसी सूचना स्वयं उपलब्ध नहीं कराई जाती हैतो नागरिकों को आरटीआई अधिनियम के तहत केंद्र और राज्यों में सूचना आयुक्तों & मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) से सुचना की मांग करने का अधिकार है। "लोक प्राधिकरण" मंत्रियों और सरकारी सेवकों को RTI के अंतर्गत लाता है। Read also...35A के मुख्य प्रावधान क्या है


    RTI Act, 2005 में मुख्य संशोधन

    RTI Amendments Act 2019 मेंनरेंद्र मोदी सरकार ने मुख्य सूचना आयुक्तों और सूचना आयुक्तों के लिए पांच साल के निश्चित कार्यकाल को समाप्त किया है। उनकी सैलरी में भी बदलाव किया गया है। कार्यकाल (Tenure) एवं Salary को अब सरकार द्वारा अलग से अधिसूचित किया जाएगा।

    सरकार मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों (CIC, ICs) को लुभाने या उनकी कार्य शैली की उपयुक्तता के आधार पर वेतन में वृद्धि या विस्तार और धमकी दे सकती है। RTI Act, 2005 में मुख्य बदलाव क्या क्या हुए है इन्हे निम्न तालिका से समझते है
    RTI Act, 2005 के 02 Sections में बदलाव हुए हैं पहला है section 13 और दूसरा है Section 16.

    RTI Act, 2005
    RTI Act, 2019
    2005 के कानून में Section 13 में जिक्र था कि केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त (CIC & IC) का कार्यकाल पांच साल या फिर 65 साल की उम्र तक, जो भी पहले हो, होगा.
    2019 में संशोधित कानून कहता है कि केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त (CIC & IC) का कार्यकाल केंद्र सरकार पर निर्भर करेगा.
    2005 के कानून में Section 13 में केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त (CIC & IC) की Salaries का जिक्र है. मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) की तनख्वाह मुख्य निर्वाचन आयुक्त (Chief Election Commissioner) की तनख्वाह के बराबर होगा. सूचना आयुक्त (IC) की Salary निर्वाचन आयुक्त (EC) की Salary के बराबर होगी.
    2019 का संशोधित कानून कहता है कि केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त की Salary और सूचना आयुक्त की Salary (CIC & IC) केंद्र सरकार तय करेगी.


    2005 के Section 16 में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त (State CIC & IC) का जिक्र है. इसमें लिखा है कि राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य के सूचना आयुक्त (State CIC & IC) का कार्यकाल पांच साल या 65 साल की उम्र तक, जो भी पहले हो, तब तक होगा.
    2019 का संशोधित कानून कहता है कि राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य के सूचना आयुक्त (State CIC & IC) का कार्यकाल केंद्र सरकार तय करेगी.


    2005 के मुताबिक राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त की Salary राज्य के निर्वाचन आयुक्त की Salary के बराबर होगी. राज्य के सूचना आयुक्त की Salary राज्य के मुख्य सचिव के बराबर होगी.


    2019 ऐक्ट के मुताबिक राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त की Salary केंद्र सरकार तय करेगी



    RTI में सरकार की शंशोधन की दलीलें

    सूचना आयोग के कुछ आदेशों की वजह से मोदी सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा हुई थी।जनवरी 2017 मेंएक आरटीआई कार्यकर्ता (RTI Activist) के आवेदन पर कार्रवाई करते हुएसूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने दिल्ली विश्वविद्यालय को 1978 में बीए पाठ्यक्रम पास करने वाले छात्रों के रिकॉर्ड के निरीक्षण (Observation) की अनुमति देने का आदेश दियाजिस वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा उत्तीर्ण की थी।

    अगले कुछ दिनों के भीतरमुख्य सूचना आयुक्त (CIC) आरके माथुर ने श्रीधर आचार्युलु से मानव संसाधन विकास विभाग (Human Development Department) छीन लिया गया।  दिलचस्प बात यह है कि 29 दिसंबर, 2016 को केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के भीतर फेरबदल मेंआचार्युलु ने अपने पोर्टफोलियो में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Human Development Department) को बनाए रखा था।

    पिछली मोदी सरकार के कार्यकाल की एक अन्य घटना मेंभारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में NPA (Non Performing Assets) का विवरण और बड़े ऋण डिफॉल्टरों (Bed Debtors) का विवरण उपलब्ध कराने के लिए एक आरटीआई आवेदन पर निर्देशित किया गया था। आरबीआई ने उसकी गोपनीय प्रकृति का हवाला देते हुए जानकारी देने से इनकार किया था। मामला उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में पहुंचाजिसने 2015 में आरबीआई (RBI) को सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया और केंद्रीय बैंक द्वारा आदेश का पालन करने में विफल रहने के बाद इस साल अप्रैल में आदेश को दोहराया। Read also...Article 370 in Hindi- Main Provisions 

    सरकार का बचाव तर्क RTI Amendments Bill 2019 के सम्बन्ध में

    सरकार ने कहा है कि उसने केंद्रीय सूचना आयोग की स्वायत्तता या स्वतंत्रता (Autonomy) के साथ छेड़छाड़ नहीं की है। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने सोमवार को लोकसभा में Right to Information (Amendment) Bill, 2019 पेश करते हुए कहा कि मोदी सरकार यूपीए सरकार द्वारा पारित आरटीआई कानून में विसंगति को दूर कर रही है।

    उन्होंने कहा, "शायदआरटीआई अधिनियम, 2005 को पारित करने की जल्दी में तत्कालीन सरकार (UPA Government) ने बहुत सारी चीजों को नजरअंदाज कर दिया। केंद्रीय सूचना आयुक्त (CIC) को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश का दर्जा दिया गया लेकिन केंद्रीय सूचना आयुक्त (CIC) के निर्णयों को चुनौती नहीं दी जा सकती है जबकि उच्च न्यायालयों के निर्णयों (Judgements) को दी जा सकती है। यह कैसे हो सकता है? "

    उन्होंने आगे कहा, "आरटीआई कानून (RTI ACT, 2005 ) ने सरकार को नियम बनाने की शक्तियां नहीं दीं। इसलिए हम संशोधन के माध्यम से इसे सही कर रहे हैं।"

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    आरटीआई अधिनियम (RTI ACT, 2005 ) का क्या उद्देश्य है?

    आरटीआई अधिनियम, 2005 (RTI ACT, 2005 ) के तहत, सार्वजनिक अधिकारियों (Public Authorities) को  विभिन्न पहलुओं पर सूचनाओं को खुलासे की आवश्यकता होती है। इसमें शामिल हैं: (i) उनके संगठन, कार्यों और संरचना, (ii) शक्तियों और कर्तव्यों और उनके अधिकारियों और कर्मचारियों के बारे में खुलासा, और (iii) वित्तीय जानकारी। जनता को उपरोक्त सूचना प्राप्त करने के लिए अधिनियम के माध्यम से सूचनाएं उपलब्ध कराने की आवश्यकता होती है। यदि ऐसी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जाती है, तो नागरिकों को प्राधिकरण से इसके लिए अनुरोध करने का अधिकार है। इसमें सार्वजनिक प्राधिकरण के नियंत्रण में दस्तावेज़, फ़ाइल या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड (Documents, Electronic Records, Files) के रूप में जानकारी शामिल हो सकती है। अधिनियम के अधिनियमन के पीछे का उद्देश्य सार्वजनिक प्राधिकरणों के काम में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना है।

    पब्लिक अथॉरिटीज' (Public Authorities) के दायरे में कौन शामिल है?

    लोक प्राधिकारियों (PIO- Public Information Officer) में संविधान के तहत या किसी कानून या सरकारी अधिसूचना के तहत स्थापित स्व-सरकार के निकाय शामिल हैं। उदाहरण के लिए, इनमें मंत्रालय, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और नियामक शामिल हैं। इसमें सरकारी स्वामित्व वाली, सरकार से नियंत्रित सरकार से आंशिक या पर्याप्त रूप से वित्तपोषित और गैर-सरकारी संगठन भी शामिल हैं, जो सरकार द्वारा प्रदान किए गए धन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वित्तपोषित हैं।

    अधिनियम के तहत सूचना का अधिकार कैसे लागू होता है?

    अधिनियम के तहत गारंटीशुदा सूचना के अधिकार को लागू करने के लिए अधिनियम ने तीन स्तरीय संरचना स्थापित की गयी है-

    सार्वजनिक प्राधिकरण अपने कुछ अधिकारियों को सार्वजनिक या जन सूचना अधिकारी (Public Information Officer ) के रूप में नामित करते हैं। सूचना का पहला अनुरोध लोक प्राधिकारियों द्वारा नामित केंद्रीय / राज्य सहायक लोक सूचना अधिकारी और केंद्रीय / राज्य लोक सूचना अधिकारी को जाता है। इन अधिकारियों को अनुरोध के 30 दिनों के भीतर एक RTI आवेदक को जानकारी प्रदान करना आवश्यक है। उनके निर्णयों से अपील एक अपीलीय प्राधिकरण में जाती है। अपीलीय प्राधिकरण के आदेश के खिलाफ अपील राज्य सूचना आयोग या केंद्रीय सूचना आयोग के पास जाती है। इन सूचना आयोगों में एक मुख्य सूचना आयुक्त और 10 सूचना आयुक्त होते हैं।

    सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2019 का प्रस्ताव क्या है?

    विधेयक केंद्र और राज्यों में सीआईसी और सूचना आयुक्तों की सेवा की शर्तों में बदलाव करता है। नीचे दी गई तालिका में RTI Act, 2005 और RTI Amendment Act 2019 के प्रावधानों की तुलना करती है।


    Comparison: RTI Act, 2005 & RTI Amendment Act 2019 

    तालिका 1: सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 और सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2019 के प्रावधानों की तुलना (Comparison/difference):-


    Provision
    RTI Act, 2005
    RTI (Amendment) Act, 2019
    अवधि
    मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) और   सूचना आयुक्त (ICs) (केंद्र और राज्य स्तर पर) पांच साल के कार्यकाल के लिए पद संभालेंगे।
    विधेयक इस प्रावधान को हटाता है और कहता है कि केंद्र सरकार सीआईसी और आईसीएस (CIC, ICs) के लिए कार्यालय के कार्यकाल को अधिसूचित करेगी।
    वेतन
    CIC और IC (केंद्रीय स्तर पर) का वेतन क्रमशः मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों को दिए जाने वाले वेतन के बराबर होगा।
    इसी तरहसीआईसी और आईसीएस (CIC, ICs) (राज्य स्तर पर) का वेतन राज्य के चुनाव आयुक्तों और मुख्य सचिव को दिए जाने वाले वेतन के बराबर होगा
    विधेयक इन प्रावधानों को हटाता है और कहता है कि केंद्र और राज्य सीआईसी और आईसीएस (CIC, ICs) की सेवा के वेतनभत्ते और अन्य नियम और शर्तें केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएंगी।
    वेतन में कटौती
    अधिनियम में कहा गया है कि सीआईसी और आईसीएस (CIC, ICs) (केंद्रीय और राज्य स्तर पर) की नियुक्ति के समययदि वे पिछली सरकारी सेवा के लिए पेंशन या कोई अन्य सेवानिवृत्ति लाभ प्राप्त कर रहे हैंतो उनका वेतन एक राशि के बराबर कम हो जाएगा पेंशन।
    पिछली सरकारी सेवा में निम्न के तहत सेवा शामिल है: (i) केंद्र सरकार, (ii) राज्य सरकार, (iii) निगम एक केंद्रीय या राज्य कानून के तहत स्थापितऔर (iv) केंद्र या राज्य सरकार के स्वामित्व वाली या नियंत्रित कंपनी।
    विधेयक इन प्रावधानों को हटा देता है।

    निष्कर्ष (Conclusion)

    दिलचस्प बात यह है कि केंद्रीय सूचना आयोग में 1 मुख्या सूचना आयुक्त (CIC) एवं  10  सूचना आयुक्त (ICs) होते हैं। मोदी सरकार पर संस्था को कमजोर करने और सूचनाओं के प्रवाह को रोकने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए सूचना आयुक्तों के चार पद विपक्ष के पास खाली पड़े हैं।

    मूल आरटीआई अधिनियम को कार्मिकलोक शिकायतकानून और न्याय पर संसदीय समिति द्वारा चर्चा और मंजूरी के बाद पारित किया गया था। मूल बिल में, CIC और IC का वेतन सचिवों के बराबर था किन्तु केंद्र RTI Amendment Bill 2019 के अंतर्गत केंद्र एवं राज्य सीआईसी और आईसीएस की सेवा के वेतनभत्ते और अन्य नियम और शर्तें केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएंगी।

    इसमें कोई संदेह नहीं कि सूचना आयोग के अधिकारों में इस संशोधन से कमी कर दी है जिससे उसकी Autonomy पर भी फर्क पड़ा है. भारत में यह कानून काफी सार्थक है जिसने काफी भ्रस्टाचार को जनता के सामने लाया है।  इसलिए सूचना आयोग का मज़बूत होना आबश्यक है.
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