Supreme Court modifies its Earlier Order on Dowry (498A), Now Police may Instantly Arrest the Accused latest judgement | दहेज़ उत्पीड़न में तुरंत गिरफ़्तारी,सुप्रीम कोर्ट का निर्णय



Supreme Court modifies its Earlier Order on Dowry (498A), Now Police may Instantly Arrest the Accused latest judgement | दहेज़ उत्पीड़न में  तुरंत गिरफ़्तारी,सुप्रीम कोर्ट का  निर्णय 

Hello दोस्तों, आज में आपको बताऊंगा हाल ही आया सुप्रीम कोर्ट का निर्णय जो दहेज उत्पीड़न के संबंध मे है। अब दहेज उत्पीड़न(498A) and 3/4 Dowry Prohibition Act में तत्काल गिरफ्तारी हुआ करेगी। आज माननीय सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आया है कि दहेज उत्पीड़न में तत्काल गिरफ्तारी हुआ करेगीपरिवार कल्याण समिति की रिपोर्ट संबंधी अपने पूर्व के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने संशोधन किया तथा तत्काल गिरफ्तारी पर जो रोक दी गई थी उसे हटा दिया गया है। दहेज उत्पीड़न के मामले में पति और उसके पारिवारिक संबंधियों को तत्काल गिरफ्तारी से मिला संरक्षण समाप्त कर दिया गया है। इस कानून को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश में संशोधन किया है। अब दहेज उत्पीड़न की शिकायतों की जांच जो परिवार कल्याण समिति द्वारा की जाती थी और जांच के दौरान तक गिरफ्तारी पर रोक थी; उसको सुप्रीम कोर्ट ने संशोधित किया है। यानी अब अगर पुलिस को गिरफ्तारी का पर्याप्त साक्ष्य मिलता है तो वह अभियुक्त को गिरफ्तार कर सकती है। कोर्ट ने पुलिस को भी सचेत किया है की वो आवश्यक साक्ष्य होने के आधार पर ही गिरफ्तारी करें। इसके साथ ही माननीय सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि अभियुक्त के पास अग्रिम जमानत का विकल्प मौजूद रहेगा। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्राल, एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ की 3 सदस्यों की पीठ ने यह फैसला दिया तथा  पिछले वर्ष 2017 में 23 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के फैसले में संशोधन भी किया है। 



Also Read...

  1. The success story of Mr Barun Kumar Baranwal Tire Puncture shop to Become IAS

कोर्ट ने पूर्व आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि परिवार कल्याण समिति गठित करने का आदेश उचित नहीं है। कोर्ट ने कहा कि विधायिका ने धारा 498 ए को संगेय अपराध  तथा गैर जमानती अपराध बनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलें में फिर से गिरफ्तारी के बारे में व्यवस्था की है. माननीय कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 41 तथा 41 A  के प्रावधानों का गिरफ्तारी करते समय पालन करने को कहा है। यह धाराएं 7 साल तक की सजा वाले मुकदमों में मज़बूत साक्ष्य होने पर ही, अभियुक्त द्वारा  पुलिस के बार-बार बुलाने पर भी नही आने, न्यायिक क्षेत्र से भाग जाने आदि में ही पुलिस को गिरफ्तारी करने को प्रावधान करती है यानी ऐसे मामलों में पुलिस जरूरी होने पर ही गिरफ्तारी करेगी।

Supreme Court modifies its Earlier Order on Dowry (498A), Now Police may Arrest Instant the Accused latest judgement | दहेज़ उत्पीड़न में  तुरंत गिरफ़्तारी,सुप्रीम कोर्ट का  निर्णय
Photo Credit Honourable Supreme Court

जमानत संबंधी पूर्व के आदेश को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है। कोर्ट ने पूर्व आदेश को सही ठहराया की धारा 498ए में जमानत अर्जी पर विचार करते समय उचित शर्तें लगाई जा सकती है, लेकिन दहेज में जो समान लड़की पक्ष द्वारा लड़के पक्ष को दिया जाता है उसकी बरामदगी ना होने पर जमानत नकारने का आधार नहीं हो सकता। कोर्ट ने कहा कि पूर्व फैसले में मामला दर्ज होने के बाद समझौते से मामला निपटाने की व्यवस्था सही नहीं है क्योंकि विधायिका ने धारा 498 ए भारतीय दंड विधान and 3/4 Dowry Prohibition Act को संज्ञान योग्य तथा गैर जमानती बनाया है. पीठ ने कहा कि जब दोनों पक्षों में समझौता हो जाए तो वह हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं और कोर्ट सही मिलने पर मामला निरस्त कर सकता है।
जानते है कि आखिर पुराना माननीय सुप्रीम कोर्ट का निर्णय क्या था जिसमें माननीय पीठ को संशोधन करने की जरूरत पड़ी।

Read also...
  1. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम(अत्याचार निवारण) संशोधन 2018 मुख्य प्रावधान तथा सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
  2. समलैंगिकता अपराध नहीं-सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय 2018

माननीय सुप्रीम कोर्ट का पुराना आदेश( 27 July 2017):

न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल(अब सेवानिवृत्त) और यू यू ललित की पीठ ने 27 जुलाई 2017 को दहेज उत्पीड़न की धारा 498 ए and 3/4 Dowry Prohibition Act का दुरुपयोग रोकने के लिए कई दिशा निर्देश जारी किए थे। कोर्ट ने कहा था-
  • जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रत्येक जिले में परिवार कल्याण समिति का गठन करेगी, जो धारा 498 ए के मुकदमों में पति-पत्नी को बुलाकर समझौते का प्रयास करेगी।
  • परिवार कल्याण समिति आपसे बातचीत करके एक माह में रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
  • धारा 498 ए के तहत मजिस्ट्रेट या पुलिस को मिलने वाली हर शिकायत जांच के लिए समिति को भेजी जाएगी।
  • कल्याण समिति की रिपोर्ट आने तक दहेज के मामलों में गिरफ्तारी नहीं की जाएगी यानी कि प्रतिवादी को गिरफ्तारी से संरक्षण रिपोर्ट आने तक प्राप्त होगा।
  • दोनों पक्षों के बीच समझौता होने की स्थिति में जिला एवं सत्र न्यायाधीश आपराधिक कार्यवाही समाप्त कर सकता है।
  • दहेज का विवादित सामान वरामद न होना, जमानत को नकारने का आधार नहीं हो सकता है यानी कि दहेज के विवादित समान की बरामदगी ना होने पर जमानत को नही नकारा जा सकता।

जान लेते हैं कि धारा 498 ए क्या है

पति अथवा पति के संबंधियों द्वारा क्रूरता के विषय में (धारा 498):

जो कोई किसी स्त्री के पति अथवा पति का संबंधी होते हुए ऐसी स्त्री को क्रूरता के अधीन रखेगा वह 3 वर्ष तक के कारावास से दंडित होगा और जुर्माने से भी दंडित होगा।
स्पष्टीकरण
इस धारा मैं क्रूरता से अभिप्राय है
ऐसा कोई भी जानबूझकर किया गया आचरण जो इस प्रकृति का है की वह संभवत उस स्त्री को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करेगा, गंभीर क्षति या उसके प्राण, अंग या स्वास्थ्य को चाहे वह मानसिक व शारीरिक हो अथवा
उस स्त्री को परेशान करना जहां उसे इस दृष्टिकोण से परेशान किया जा रहा हो किसी संपत्ति अथवा मूल्यवान प्रतिभूति की विधि विरुद्ध मांग की पूर्ति के लिए उत्पीड़न किया जाए।
साधारण शब्दों में कहा जाए तो धारा 498 ए आईपीसी दो मामलों में विशेषकर लगती है
किसी स्त्री के पति अथवा पति के संबंधियों द्वारा दहेज उत्पीड़न करना जिसमें दहेज की मांग करना जिसमें दहेज मांगते हुए गाली गलौज, मारपीट, जान से मारने की धमकी आदि प्रतिवादी द्वारा की जाती है। अथवा
किसी स्त्री के पति या पति के संबंधियों द्वारा उस स्त्री का मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न करना जिसमें दहेज की मांग नहीं होती किंतु शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न शामिल होता है. ऐसे मामलों में भी धारा 498 ए आईपीसी के तहत की जाती है।

निष्कर्ष

इसमें संदेह नही कि धारा 498 ए and 3/4 Dowry Prohibition Act के अंतर्गत झूठे अभियोग बहुत पंजीकृत होते थे इस कारण माननीय सुप्रीम कोर्ट ने पहले के आदेश में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी तथा पति पत्नी को समझौते का अवसर भी प्रदान किया था। माननीय सुप्रीम कोर्ट का प्रथम निर्णय काफी सराहनीय था क्योंकि उसमें अभियोग पंजीकरण के बाद परिवार कल्याण समिति को पति पत्नी के बीच आपसी मनमुटाव को दूर करने का ओर घर परिवार बसाने का मौका दिया जाता था तथा समझौता कराया जाता है। एक मौका होता था परिवार को साथ लाने का अपनी दूरियां कम करने का। यदि यह समझौता सफल हो जाता तब समझौता सफल होने के बाद पुलिस विवेचक द्वारा मामले में समझौते के आधार पर अंतिम रिपोर्ट माननीय ले को प्रेषित कर दी जाती है। परिवार कल्याण में मामला विचाराधीन होने पर पुलिस द्वारा कोई गिरफ्तारी नहीं की जाती है।
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश में संशोधन किया है तथा दहेज उत्पीड़न के मामलों में तत्काल गिरफ्तारी का प्रावधान किया है किंतु
 माननीय कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि गिरफ्तारी से पूर्व सीआरपीसी की धारा 41 तथा 41 ए के प्रावधानों पालन करते हुए की गिरफ्तारी की जाए. माननीय कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि अभियुक्त को अग्रिम जमानत मिल सकेगी।
निष्कर्ष से यह कहा जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय मैं अभियुक्त की गिरफ्तारी से पूर्व सीआरपीसी की धारा 41 तथा 41 ए का पालन पुलिस को करना पड़ेगा जिसमें प्रावधान है कि 7 वर्ष से कम की सजा बाले मुकदमों में गिरफ्तारी करने का पर्याप्त आधार होना चाहिए तथा अभियुक्त अग्रिम जमानत भी ले सकेगा। झूठे मुकदमो को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कोई स्पष्ट व्याख्या नहीं दी। पति - पत्नी के ज्यादातर अभियोगों मैं समझौता हो जाता है। इस निर्णय से दोषियो को शीघ्र सज़ा मिल सकेगी लेकिन निर्दोषो को भी तुरंत गिरफ्तारी से परेशानी का सामना करना पड़ेगा क्योंकि दहेज़ के ज्यादातर मामले झूठे पंजीकृत होते है। मनमुटाव होता किसी ओर वजह से है लिखा कुछ और जाता है यानी लिखा दहेज का जाता है।

देखते है इस निर्णय के बाद दहेज के मुकदमो में क्या नतीजे आते है , झूठे मुकदमो की और संख्या बढ़ती है या दोषिओं को सजा मिलती है ।
Read Also...
  1. भारतीय पुलिस अधिकारी की रैंक और बेज | Indian Police officer Rank and Badges | Indian Police officer Rank and Badges in Uttar Pradesh
  2. FIR (First Information Report) क्या है | FIR kaise darj kare
  3. पुलिस चालान के नियम तथा नागरिकों के अधिकार | Citizen Rights during Police Challan
  4. उत्तर प्रदेश उपनिरीक्षक तथा निरीक्षक सेवा नियमावली 2015 latest
  5. Indian Police Service (IPS) selection process
  6. UP Police DSP selection process
  7. The success story of Mr Vijay Gurjar constable to IPS
  8. The success story of Mr Ansar Shaikh Auto Driver Son to Become IAS

Post a Comment

1 Comments

I'm certainly not an expert, but I' ll try my hardest to explain what I do know and research what I don't know.

Please do not spam comment.