Police Powers, Duties and Responsibilities In India- under Police Act, 1861, Police Regulation Act & Code Of Criminal Procedure, 1973 (in Hindi) Latest
नमस्कार दोस्तों, इस लेख में मैं बताने वाला हूं पुलिस अधिकारियों / कर्मचारियों की शक्तियों, कर्तव्य तथा दायित्वों (Police Powers and Duties In India) के बारे में । पुलिस अधिकारियों को बहुत सारी शक्तियां प्राप्त होती हैं पुलिस का मूल कार्य कानून व्यवस्था तथा अपराधों की रोकथाम करना होता है जिसके पालन में पुलिस बहुत सारी शक्तियों का प्रयोग करती है। पुलिस को कोन सी शक्तियों का प्रयोग करती है पुलिस के क्या क्या अधिकार, शक्तियां, कर्तव्य तथा दायित्व होते है आपको इस लेख के माध्यम से उसी के बारे में बताऊंगा।
पुलिस का मूल कर्तव्य कानून व्यवस्था तथा लोक व्यवस्था स्थापित करना, अपराध नियंत्रण, निवारण तथा जनता से प्राप्त शिकायतों का निस्तारण करना होता है । समाज के समस्त वर्गों में सदभाव कायम रखने हेतु महत्वपूर्ण व्यक्तियों व संस्थाओं की सुरक्षा करना तथा समस्त व्यक्तियों की जान व माल की सुरक्षा करना है । लोक जमावों और जुलूस को भी नियमित करना तथा अनुमति देना इत्यादि पर व्यवस्था बनाए रखना है।
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पुलिस अधिनियम की धारा 22 के अनुसार पुलिस अधिकारी सदैव कर्तव्यरूढ़ रहेगा और उसे जिले के किसी भाग में भी नियोजित किया जा सकता है। पुलिस अधिनियम 1861 की धारा 23 के अनुसार प्रत्येक पुलिस अधिकारी का यह कर्तव्य है कि वह पुलिस विभाग के संचालन हेतु विभिन्न नियमों एवं कानूनों तथा सक्षम अधिकारी द्वारा उसे विधिपूर्वक जारी किए गए सब आदेशों एवं वारंटों का पालन तथा निष्पादन करे । लोक शांति को भंग करने वाले गुप्तवार्ता का संग्रह करें , लोक अशांति का निवारण करें, अपराधियों का पता लगाएं और न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करें।
पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की शक्तियां एवं कर्तव्य (Police Powers, Responsibilities and Duties In India) का विवरणः
पुलिस अधिनियम, 1861, पुलिस रेगुलेशन, द0प्र0सं0, अन्य अधिनियमों तथा विभिन्न शासनादेशों के अन्तर्गत पुलिस के अधिकारियों/कर्मचारियों के निम्नलिखित अधिकार एवं कर्तव्य हैं :
1- पुलिस अधिनियम (Police Act, 1861):
धारा
|
अधिकारियों और
कर्मचारियों की शक्तियां एवं कर्तव्य
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7
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आन्तरिक अनुशासन
बनाये रखने हेतु राजपत्रित अधिकारियों को किसी समय अधीनस्थ पदों के ऐसे किसी अधिकारी
को दण्डित करने की शक्ति होती है जो कि अपने कर्तव्य के निर्वहन में शिथिल एवं उपेक्षावान
पाये जायें |
|
17
|
विशेष पुलिस
अधिकारी की नियुक्ति के सम्बन्ध में जब यह प्रतीत हो कि कोई विधि विरूद्ध जमाव,
बलवा या शन्ति भंग
हुई हो या होने की गम्भीर संभावना हो विशेष पुलिस अधिकारी नियुक्त करने की शक्ति
होती है।
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22
|
पुलिस अधिकारी
सदैव कर्तव्यारूढ़ माने जाते हैं तथा उन्हें जिले के किसी भी भाग में नियोजित
किया जा सकता है ।
|
23
|
प्रत्येक पुलिस
अधिकारी का यह कर्तव्य है कि वह किसी सक्षम प्राधिकारी द्वारा उसे विधि पूर्वक
जारी किये आदेशों का पालन व निष्पादन करे, लोक शान्ति को प्रभावित करने वाली गुप्त
वातों का संग्रह करे अपराधों व लोक अबदूषण का निवारण करें, अपराधियों का पता लगाये तथा उन सब
व्यक्तियों को गिरफ्तार करे जिनको गिरफ्तार करने के लिए वैधता प्राधिकृत है तथा
जिनको गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त आधार विद्यमान हैं। इसके लिए उसे बिना
वारण्ट किसी शराब की दुकान, जुआ घर या भ्रष्ट या
उदण्ड व्यक्तियों
के समागम के अन्य स्थान में प्रवेश करना और उसका निरीक्षण करना विधिपूर्ण होगा ।
|
25
|
लावारिस सम्पत्ति
को पुलिस अधिकारी अपने भार साधन में लें तथा इसकी सूचना मजिस्ट्रेट को दें तथा
नियमानुसार उस
सम्पत्ति को निस्तारित करेंगे।
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30
|
लोक जमावों और
जुलूसों को विनियमित करने और उसके लिए अनुमति देने की शक्ति
|
30क
|
उपरोक्त अनुमति की
शर्तो के उल्लंघन करने पर थाने के भार साधक अधिकारी तथा अन्य अधिकारियों को जुलूस
या किसी जमाव का रोकने या बिखर जाने के आदेश देने की शक्ति ।
|
31
|
सार्वजनिक सड़कों
व मार्गों, आम
रास्तों, घाटों
व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर व्यवस्था बनाये रखने का कर्तव्य |
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34
|
किसी व्यक्ति
द्वारा किसी ढोर का बध करने, उसे निर्दयता से मारने या यातना देने, ढोर गाड़ी से यात्रियों
को बाधा पहुचाने,
मार्ग पर गन्दगी व
कुड़ा फेकने, मतवाले
या उपद्रवी व्यक्तियों व शरीर का अशिष्ट प्रदर्शन करने पर किसी पुलिस अधिकारी के
लिए यह विधि पूर्ण होगा कि वह ऐसे किसी व्यक्ति को बिना वारण्ट के अभिरक्षा
में ले लें।
|
34क
|
उपरोक्त अपराध के
शमन करने की शक्ति राजपत्रित पुलिस अधिकारियों में निहित है।
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47
|
ग्राम चौकीदारो पर
प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण का दायित्व
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2- पुलिस रेगुलेशन (Police Regulation Act):
पुलिस रेगुलेशन के पैरा 12 से 16 तक जिला पुलिस अधीक्षक के अधिकार एवं कर्तव्य निम्नवत् है:
प्रस्तर
|
कर्तव्य
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12 से 16 पुलिस अधीक्षक
|
पुलिस अधीक्षक
जिले के पुलिस बल के प्रधान होते हैं वे अधीनस्थ पुलिस बल के दक्षता, पुलिस अधीक्षक अनुशासन एवं कर्तव्यों के
पालन के लिए दायित्वाधीन होते हैं। मजिस्ट्रेट और पुलिस फोर्स के
मध्य सभी संव्यवहार पुलिस अधीक्षक के माध्यम से ही किये जाते हैं। पुलिस अधीक्षक यदि मख्यालय पर उपस्थित
हैं तो जनता की समस्या सनने के लिए कार्यालय में बैठेंगे उन्हे
स्वतन्त्रतापूर्वक वैचारिक संसूचना के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। सूचना के
जितने साधन होंगे तद्नुरूप उनकी दक्षता होगी। पुलिस पेंशनर्स से उनका संपर्क
होना चाहिए और उन्हें विनिर्दिष्ट रीति से जिले में थानों व पुलिस लाइन का
निरीक्षण करना चाहिए। आबकारी विषयों पर आयोजित होने वाले वार्षिक समारोह में
पुलिस अधीक्षक की व्यक्तिगत मौजूदगी एवं पर्यवेक्षण आवश्यक पड़ोसी जनपदों के
पुलिस अधीक्षकों से यथासम्भव वर्ष में एक बार भेंट आवश्यक है। पुलिस अधीक्षक
द्वारा शासकीय आदेश की पुस्तिका में जिले का प्रभार सौपे जाने वाले राजपत्रित
अधिकारी द्वारा गोपनीय ज्ञापन तैयार किये जाने संबंधित अंतर्विष्ट अनुदेशों का
अनुसरण
किया जाना चाहिए।
|
17 सहायक पुलिस
अधीक्षक एवं पुलिस उपाधीक्षक
|
सहायक पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस उपाधीक्षक के
द्वारा पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर किसी भी उस कार्य को किया जाता है, जो व्यक्तिगत रूप से विधि व नियमों द्वारा
पुलिस अधीक्षक के लिए बाध्यकारी न हो।
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18 से 23 प्रतिसार निरीक्षक
|
प्रतिसार निरीक्षक रिजर्व
पुलिस लाइन के भार साधक अधिकारी होते हैं जो कि जवानों की साज सज्जा, अनुशासन, प्रशिक्षण
के उत्तरदायी होंगे। आयुध व बारूद की सुरक्षित
अभिरक्षा के लिए
उत्तरदायी होते हैं।
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24 रिजर्व सब
इन्सपेक्टर
|
रिजर्व सब इन्सपेक्टर प्रतिसार निरीक्षक की
सहायता हेतु नियुक्त होते हैं जो गार्द एवं सबइंस्पेक्टर स्कोर्ट को निर्देशित
करने, यातायात नियंत्रण
तथा कानून एवं व्यवस्था के संबंध में प्रतिसार
निरीक्षक द्वारा
आदेशित प्रत्येक आवश्यक कार्य को करते हैं।
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43 से 50
थानाध्यक्ष
|
थानाध्यक्ष अपने
प्रभार की सीमा के अन्तर्गत पुलिस प्रशासन का संचालन करता है तथा थानाध्यक्ष सभी
शाखाओं पर प्राधिकार रखता है। वह सभी रजिस्टरों, अभिलेखों, विवरणियों और रिपोर्टों की शुद्धता के
लिए अधिनस्थों के प्रति दायित्वाधीन होगा। उसे क्षेत्र के सभी सभ्रान्त
व्यक्तियों से सुपरिचित एवं उनके प्रति मैत्रीपूर्ण सहयोग सुनिश्चित करना चाहिए।
उसे थाने की परिधि के अन्दर बुरे व्यक्तियों की निगरानी समुचित तरीके से करते
रहना चाहिए। थाने पर किसी भी अधिकारी के न उपस्थित होने पर सीनियर कांस्टेबिल
थाने का भार साधक अधिकारी होगा किन्तु वह तफ्तीश नहीं करेगा। थानाध्यक्ष द्वारा
थाने का चार्ज लेने पर पुलिस फार्म न0 299 भरकर पुलिस अधीक्षक को सूचना भेजेंगे।
|
51
|
थाने के द्वितीय
अफसर का कर्तव्य प्रातः कालीन परेड कराना, भारसाधक अधिकारी द्वारा
सौपे गये समस्त
निर्देशों को अधीनस्थों को बताना, अन्वेषण करना होता है।
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55 हेड मोहर्रिर के
कर्तव्य
|
हेड मोहर्रिर के
कर्तव्य हेड मोहर्रिर i) रोजनामचा आम और अपराधों की प्रथम सूचना लिखना।
ii) हिन्दी रोकड़ बही
(पुलिस फार्म न0 224) iii) यदि पुलिस अधीक्षक आदेश दें तो धारा 174 द0प्र0सं0 के अन्तर्गत पंचायतनामा लिखना।
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61 से 64 बीट आरक्षी
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कान्स0 नागरिक पुलिस द्वारा जनता की समस्याओं
पर नम्रता पूर्वक विचार करना चाहिए।
उनका मूल कर्तव्य
अपराधों की रोकथाम करना है। थाने पर सन्तरी ड्यूटी के समय वह अभिरक्षाधीन
कैदियों, कोश
तथा मालखाना एवं थाने के अन्य सम्पत्तियों की रक्षा करेगा। बीट कान्स0 के रूप में संदिग्ध अपराधियों, फरार अपराधी तथा खानाबदोश अपराधियों की
सूचना प्रभारी
अधिकारी को देगा।
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65 से 69 सशस्त्र पुलिस
|
सशस्त्र पुलिस के
रूप में खजानों, हवालातों
के संरक्षक, कैदियों
और सरकारी सम्पत्ति की सशस्त्र पुलिस रास्ते में देखभाल, आयुध भण्डार, अपराध दमन तथा खतरनाक अपराधियों की
गिरफ्तारी तथा उनका पीछा करना मूल दायित्व है।
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79 से 83
घुड़सवार पुलिस
|
घुड़सवार पुलिस
द्वारा उत्सवों या अन्य आयोजनों में भीड़ नियंत्रण का कार्य किया जाता है।
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89 से 96
ग्राम चौकीदार
|
ग्राम चौकीदार
द्वारा अपने प्रभाराधीन गॉवों की देखरेख करना, अपराध एवं अपराधियों की सूचना चौकीदार देना
व विधि के प्राधिकार के अधीन अपराधियों को गिरफ्तार कराने का दायित्व होता है।
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3- दण्ड प्रकिया संहिता (Code Of Criminal Procedure, 1973):
धारा
|
अधिकारियों/कर्मचारियों के कर्तव्य
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36
|
पुलिस थाने के भार
साधक अधिकारी से वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जिस थाने क्षेत्र में नियुक्त हैं उसमें
सर्वत्र उन शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं जिनका प्रयोग अपने थाने की सीमाओं
के अन्दर थाने के भार साधक अधिकारी द्वारा किया जाता है।
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41
|
बिना वारण्ट की
गिरफ्तारी निम्नलिखित दशाओं में करने की शक्तियाँ :1. संज्ञेय अपराध की दशा में । 2. कब्जे से गृह भेदन का उपकरण 3. उद्घोषित अपराधी 4. चुराई गयी सम्पत्ति की संभावना। 5.
पुलिस अधिकारी के
कर्तव्य पालन में बाधा 6. सशस्त्र बलों का भगोड़ा। 7. भारत के बाहर भारत में दण्डनीय किया गया अपराध।
8. छोड़े गये
सिद्धदोष बन्दी द्वारा नियम उल्लंघन पर। 9. वांछित अपराधी।
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42
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नाम और निवास
बताने से इन्कार करने पर गिरफ्तारी ।
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47
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उस स्थान की तलाशी
जिसमें ऐसा व्यक्ति प्रविष्ट हुआ है जिसकी गिरफ्तारी की जानी है।
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48
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गिरफ्तार करने के
लिए प्राधिकृत पुलिस अधिकारी को उस व्यक्ति को गिरफ्तार करने की शक्ति।
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49
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गिरफ्तार किये गये
व्यक्ति को उतने से अधिक अवरूद्ध नहीं किया जायेगा जितना की उसके निकल भागने से
रोकने के लिए आवश्यक है।
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50
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गिरफ्तार किये गये
व्यक्ति को गिरफ्तार के आधारों और जमानत के अधिकार की सूचना दिया जाना।
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51
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गिरफ्तार किये गये
व्यक्तियों की तलाशी।
|
52
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गिरफ्तार किये गये
व्यक्ति से अक्रामक आयुधों को अधिग्रहण करने की शक्ति ।
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53
|
पुलिस अधिकारी के
आवेदन पर रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी द्वारा अभियुक्त का चिकित्सकीय परीक्षण
किया जाना।
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54
|
गिरफ्तार किये गये
व्यक्ति के आवेदन पर रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी द्वारा अभियुक्त का
चिकित्सकिय परीक्षण किया जाना।
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56
|
गिरफ्तार किये गये
व्यक्ति को अनावश्यक विलम्ब के बिना अधिकारिता मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत
करना।
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57
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गिरफ्तार किये गये
व्यक्ति को 24 घण्टे
से अधिक पुलिस अभिरक्षा में निरूद्ध न रखना।
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58
|
बिना वारण्ट
गिरफ्तारारियों की सूचना कार्यकारी मजिस्ट्रेट को देना।
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60
|
अभिरक्षा से भागे
अभियुक्तों को सम्पूर्ण भारत में कहीं भी गिरफ्तार की शक्ति
|
100
|
बन्द स्थान के भार
साधक व्यक्ति, उस
अधिकारी को जो वारण्ट का निष्पादन कर रहा है, तलाशी लेने देंगे।
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102
|
ऐसी वस्तुओं को
अभिग्रहीत करने की शक्ति जिनके सम्बन्ध में चोरी की हुई होने का सन्देह हो।
|
129
|
उपनिरीक्षक व उससे
उच्च समस्त अधिकारियों को पुलिस बल के प्रयोग द्वारा जमाव को तितर बितर करने की
शक्ति ।
|
130
|
ऐसे जमाव को तितर
बितर करने के लिए सशस्त्र बल का प्रयोग।
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131
|
जमाव को तितर बितर
करने की सशस्त्र बल के राजपत्रित अधिकारियों की शक्ति।
|
132
|
धारा 129,
130, 131 के अधीन सद्भावना
पूर्वक किये गये कार्यों के सन्दर्भ में अभियोजन से संरक्षण।
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149
|
प्रत्येक पुलिस
अधिकारी किसी संज्ञेय अपराध के किये जाने का निवारण करेगा।
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150
|
संज्ञेय अपराधों
के किये जाने की परिकल्पना की सूचना ।
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151
|
उक्त के सन्दर्भ
में बिना वारण्ट गिरफ्तारी का अधिकार।
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152
|
लोक सम्पत्ति की
क्षति रोकने का अधिकार ।
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153
|
खोटे बॉट मापों का
निरीक्षण/ अधिग्रहण।
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154
|
संज्ञेय अपराध की
सूचना प्राप्त होने पर थाने के भार साधक अधिकारी के निर्देशानुसार लेखबद्ध की
जायेगी। इत्तिला की प्रतिलिपि सूचना दाता को निःशुल्क दी जायेगी। भार साधक
अधिकारी द्वारा इत्तिला को अभिलिखित करने से इन्कार करने पर किसी व्यक्ति द्वारा
संबंधित पुलिस अधीक्षक को ऐसी इत्तिला डाक द्वारा दी जा सकती है।
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155
|
असंज्ञेय मामलों
में थाने के भार साधक अधिकारी को ऐसी इत्तिला का सार संबंधित पुस्तिका में
प्रविष्टि करायेगा और इत्तिला देने वाले को मजिस्ट्रेट के पास जाने के लिए
निर्दिष्ट करेगा।
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156
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संज्ञेय मामलों
अन्वेषण करने की पुलिस अधिकारी की शक्ति।
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160
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अन्वेषण के
अनतर्गत साक्षियों की हाजिरी की अपेक्षा करने की पुलिस अधिकारी की शक्ति।
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161
|
पुलिस द्वारा
साक्षियों का परीक्षण किये जाने की शक्ति।
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165
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अपराध के अन्वेषण
के प्रयोजनों के लिए किसी स्थान में ऐसी चीज के लिए तलाशी ली जा सकती है जो अन्वेषण
के प्रायोजन के लिए आवश्यक हो। तलाशी एवं जब्ती के कारणों को लेखबद्ध किया
जायेगा।
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166
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अन्वेषणकर्ता अन्य
पुलिस अधिकारी से भी तलाशी करवा सकता है।
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167
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जब 24 घण्टे के अन्दर अन्वेषण न पूरा किया जा
सके तो अभियुक्त का रिमाण्ड लेने की शक्ति।
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169
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साक्ष्य अपर्याप्त
होने पर अभियुक्त को छोड़ा जाना।
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170
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जब साक्ष्य
पर्याप्त हो तो मामलों को मजिस्ट्रेट के पास विचारण के लिए भेज दिया जाना।
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172
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अन्वेषण में की
गयी कार्यवाहियों को केस डायरी में लेखबद्ध किया जाना।
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173
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अन्वेषण के समाप्त
हो जाने पर पुलिस अधिकारी द्वारा सशक्त मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट भेजना।
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174
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आत्महत्या आदि पर
पुलिस द्वारा मृत्यू समीक्षा करना और रिपोर्ट देना।
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175
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धारा 174 के अधीन कार्यवाही करने वाले पुलिस
अधिकारी को अन्वेषण के प्रायोजन से व्यक्तियों को शमन करने की शक्ति ।
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176
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पुलिस अभिरक्षा
में मृत व्यक्ति की मृत्यु समीक्षा मजिस्ट्रेट द्वारा की जायेगी।
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