Reservation for General Category in Hindi | Reservation for Upper caste in Hindi | Reservation for Economically Weaker Section (EWS) in Hindi
नमस्कार दोस्तों आज इस लेख में आपको बताने वाला हूं, सरकार द्वारा सवर्ण आर्थिक पिछड़ो के लिए 10% आरक्षण (10 % Reservation for Economically Weaker Sections (EWS) for Generel Category) के बारे में। अभी हाल ही में प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा सवर्णों के आर्थिक पिछड़ों के लिए 10% आरक्षण (10 % Reservation for Economically Weaker Sections (EWS) for Generel Category) का प्रावधान किया है। जिसे उन्होंने संसद में भी पारित कर किया है। इस आरक्षण के लिए भारतीय संविधान में 103 वा संशोधन किया गया है। जिस पर राष्ट्रपति महोदय के सिग्नेचर भी करा लिए गए हैं। इस अधिनियम में उन सभी को आरक्षण मिलेगा जो अभी तक किसी आरक्षण के प्रावधान में शामिल नहीं है चाहे वह किसी भी जाति के हैं।
इस समय सवर्णों के आर्थिक पिछड़ो के लिए 10% आरक्षण के लिए १० % आरक्षण को मिलाकर कुल आरक्षण 59.50 हो गया है | पहले यह 49.50 था |
सवर्णों के आर्थिक पिछड़ो के लिए 10% आरक्षण संसद द्वारा 9 जनवरी को पारित किया गया तथा 12 जनवरी को राष्ट्रपति ने भी इस पर हस्ताक्षर कर दिया है।
सवर्णों के आर्थिक पिछड़ों के लिए 10% आरक्षण के प्रावधान हेतु संविधान में संशोधन किया गया है। यह लोकसभा में 124 वा संविधान संशोधन के रूप में प्रस्तुत हुआ था किंतु संसद से पारित होने के उपरांत यह 103 वे संविधान संशोधन के रूप में Notified हुआ है।
सवर्ण आर्थिक पिछड़ों के लिए 10% आरक्षण के प्रावधान के लिए मंडल आयोग ने भी रिपोर्ट दी थी किंतु सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ 1992 के द्वारा 10% आरक्षण को रद्द कर दिया था तथा आरक्षण में 50 पर्सेंट की सीलिंग का बैरियर भी लगा दिया था। Indra Sawhney vs Union of India 1992 को आरक्षण के मामले में Landmark Judgement माना जाता है।
संसद में तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टी अन्नाद्रमुक द्वारा इसका विरोध किया गया सभी पार्टियों द्वारा समर्थन किया गया था।
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103 वे संविधान संशोधन (10 % Reservation for Economically Weaker Sections (EWS) for Generel Category):
103 वे संविधान संशोधन में सवर्णों के आर्थिक पिछड़ों के लिए जो 10% आरक्षण का प्रावधान किया गया है। इसका लाभ वह ले पाएंगे जो वर्तमान समय में किसी भी आरक्षण का लाभ नहीं ले रहे हैं। वह किसी भी जाति के हो हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई इत्यादि। किसी भी जाति के हो आरक्षण का लाभ ले पाएंगे किंतु शर्त यह है कि वह वर्तमान व्यवस्था में प्रचलित आरक्षण का लाभ ना ले रहे हो। सवर्णों के आर्थिक पिछड़ों को नौकरी के साथ साथ शिक्षा में भी इस आरक्षण का लाभ मिलेगा।
103 वे संविधान संशोधन द्वारा संविधान के अनुच्छेद 15 तथा 16 में संशोधन किया गया है।
संविधान के अनुच्छेद 36 से 51 तक नीति निर्देशक सिद्धांतों का वर्णन किया गया है जिसमें अनुच्छेद 46 में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़ों के लिए राज्य सरकार द्वारा व्यवस्था करने को बताया गया है। राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्त राज्य को लोक कल्याणकारी राज्य बने के लिए कर्तव्य के रूप में संविधान में रखे गए है।
नौकरी एवं शिक्षा में आरक्षण (10 % Reservation for Economically Weaker Sections (EWS) for Generel Category):
इसका लाभ सरकारी नौकरी में तो मिलेगा ही, इसका लाभ अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों के अलावा सरकारी सहायता प्राप्त, गैर सरकारी सहायता प्राप्त, प्राइवेट शिक्षण संस्थानों में कुल सीटों के 10% सीटों का आरक्षण कर मिलेगा।
क्रीमी लेयर (10 % Reservation for Economically Weaker Sections (EWS) for Generel Category):
इस संविधान संशोधन में क्रीमी लेयर का भी प्रावधान किया गया है जिसे ₹800000 रखा गया है। यदि किसिंकी आय ₹800000 से ज्यादा की है तो वह आरक्षण का लाभ नहीं ले पाएंगे।
Indra Sawhney vs Union of India 1992
ज्ञातव्य है कि इंदिरा साहनी ने सन 1992 में मंडल आयोग की रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन सरकार द्वारा 27% अन्य पिछड़ा वर्ग, 10% सवर्ण आर्थिक पिछड़ों को आरक्षण, प्रोन्नति में आरक्षण को माननीय supreme court में चैलेंज किया था तथा माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 9 सदस्यों की संविधान पीठ गठित की थी। संविधान पीठ का 6:3 के बहुमत से निर्णय आया था; जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27% आरक्षण को वैध पाया था, प्रोन्नति में आरक्षण को असंवैधानिक माना तथा सवर्ण आर्थिक पिछड़ो के लिए जो 10% आरक्षण किया गया था उसे भी संविधान के विरुद्ध माना।
अभी हाल ही में सवर्णों के आर्थिक पिछड़ो के 10% आरक्षण पर इंद्रा साहनी जो पेशे से अधिवक्ता हैं इसको माननीय सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने पर विचार करने को बोला है। भविष्य में देखते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का इस पर क्या निर्णय रहेगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा किसी भी राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा 50% की Ceiling से ज्यादा आरक्षण देकर अतिक्रमण करने पर अभी तक आरक्षण को रद्द किया जाता रहा है। किंतु अभी तक जो भी आरक्षण दिया गया था उनमें संविधान का संशोधन नहीं किया गया था। भविष्य में देखते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में यदि यह मामला जाता है तो सुप्रीम कोर्ट इस केस में क्या निर्णय लेता है।
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आशा करता हूं आपको यह लेख पसंद आया होगा।
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